મારી વ્યાસપિઠ
કોઇ ને સુધારવા
નિકળી નથી,
બધા ને સ્વિકરવા
જ નિકળી છે;
આ સ્વિકાર એ
મારો મંત્ર
છે.
My Vyaspith is not to change or better
anyone, but to accept everyone; it is this acceptance that is my mantra.
मानस - विचरति
जति, एंडला
कथा -
Manas - Vicharti Jati, Endla Katha
12th - 20th March 2011
કન્યા ની ભ્રુણહત્યા
ના થવિ જોઇએ.
સ્ત્રી ભ્રુણહત્યા
સમાજ માથી બંધ
થાય. જેને ઘરે
પહેલા દિકરી
જન્મે એને બહુ
મોટો ઉત્સવ
કરવો જોઇએ કે
મારે ઘરે નવ
દુર્ગા માથી
કોઇ એક દુર્ગા
ના પગલા થયા.
Female infanticide should not
happen and should stop in society. The birth of a girl as a firstborn is
worthy of celebration - that the daughter is the manifestation of one
of the nine durgas.
દિકરો જન્મે
અને થાળી વગાડો
સારી વસ્તુ
છે પણ દિકરી
જન્મે એના જેવુ
કોઇ શુકન નથી.
સમજદારી હોય
તો ભગવાન પાસે
માંગવુ કે મારે
ખોડે પહેલી
દિકરી જન્મે.
જોગ માયા છે,
જગદંબા છે.
કન્યા નો મહિમા
અદભૂત છે.
It is of course good to celebrate
when a boy is born, but there is no good fortune (shukand) equal to a
the birth of a girl. The right wisdom would lead one to pray for the
firstborn to be a girl. She is jogmaya. She is Jagadamba. The depth and
significance of a daughter is extraordinary.
- બાલકાંડ - બચપન
- અયોધ્યાકાંડ - દર્પણ
- આરણ્યકાંડ - ઘડપણ
- કિસ્કિંધાકાંડ - સગપણ
- સુંદરકાંડ - અર્પણ
- લંકાકાંડ - તર્પણ
- ઉત્તરકાંડ - સંપન
- Balkand - bachpan
- Ayodhyakand - darpan
- Aranyakand - gadpan
- Kiskindhakand - sagpan
- Sundarkand - arpan
- Lankakand - tarpan
- Uttarkand - sanpan
मानस जोगसूत्र,
हरिद्वार कथा
-
Manas Jogsutra, Haridwar Katha
4th - 12th May 2011
जिसके जीवन
मे सत्य आये
उसके जीवन मे
समर्पण आहि
जाता है. प्रेम
और त्याग को
सिखाना हो तो
मे पुरे जगत
को प्रार्थना
करु रामायण
से सिखो.
In whosoever's life there is truth,
that person gets full surrenderance. If you want to learn and understand
love and sacrifice, then I pray to the world learn this from the
Ramayana. |
जगत को प्रभावित
करना आसान है,
जगत को प्रकाशित
करना बहोत मुश्किल
है.
It is very easy to impress the world, but difficult to enlighten the world. |
मानस के आधार
पर पांच देवो
कि वंदना:
१. गणेश वंदना
यानि विवेक
मै जिना
२. सूर्य वंदना
यानि उजाले
(प्रकाश) मै
जिना
३. विष्णु वंदना
यानि व्यापकता
मै जिना
४. दुर्गा वंदना
यानि श्रद्धा
बनाये रखना
५. शिव वंदना
यानि दुसरो
का कल्याण हो
ऐसि सोच रखना.
यहि एक सेतुबंध
है, यहि योग
है.
|
દેવ શ્રાપ આપે
પણ ગુરુદેવ
શ્રાપ આપીજ
ના શકે. એના
સ્વભાવ મા કરુણાજ
હોય છે.
God can give punishment but Gurudev can never punish; he only has compassion.
मानस रावण ९,
थाईलेंड कथा
-
Manas Raavan 9, Thailand Katha
21st - 29th May 2011
दहेशत होगि
तो कुछ नहि
होगा; महेनत
होगि तो कुछ
कुछ होगा; रहेमत
होगि तो सब
कुछ होगा.
If there is fear/tension, nothing will happen;
If there is effort/ hard work, something will happen;
If there is grace/ blessings, everything will happen. |
अच्छे अच्छे
पुस्तक पढो
जिसमे कुछ मुल्य
प्राप्त होते
है; अच्छे मेगेझिन
पढो, कुछ अच्छा
मिले जिसमे
से.
Read good books and magazines from which you’re able to get something valuable. |
चिंता तन से
प्रगट होति
है, निवास करती
है मन मे और
जिवन को बिगाड
देती है. आश्रित
को चाहिये चिंता
न करे; चिंता
करने से आश्रयदाता
का अपमान होता
है.
Worry is borne from the body, it
lives in the heart and ruins one’s life. Aashrit tells us not to worry;
by worrying, we are disrespecting our guru. |
आदमी को तीन
काम करना चाहिये:
- देह सेवा
- देव सेवा
- देश सेवा
A person should do three things:
- service of the body
- service of God
- service of the country |
कथा सुने उसको स्वर्ग नहि मिलता; कथा सुने उसको स्व मिलता है.
He who listens to katha does not achieve heaven; he who listens to katha gets his own self. |
रावण को समजने
के लिये परम
उदार द्रश्टि
चाहिये.
To understand Rāvan, you need supreme intellect/ vision. |
हनुमानजी जितना
रावण को समज
पाया इतना अंगद
नहि समज पाया.
हनुमानजी रावण
मे भि राम को
देखते है.
As much as Hanumanji understood Rāvan, Angad did not understand him.
Hanumanji was able to see Rām even in Rāvan. |
एवरेष्ट को
पाने के लिये
स्पर्धा चाहिये;
कैलास को पाने
के लिये श्रद्धा
चाहिये.
Competition is needed to reach the Everest; faith is needed to reach Kailas. |
सदगुरु जितना शिष्य को जानता है इतना विश्व मे कोइ नहि जानता.
Noone in the world knows the disciple as well as his Sadguru. |
कथा आदमी का
रंग नहि बदलति
है, रस बदलति
है.
Katha does not change the nature of a person; rather, it changes his interest.
|
|
मानस रावण १०,
न्यु योर्क
कथा -
Manas Raavan 10, New York Katha
2nd - 10th July 2011
हरिनाम बुद्धि
को विशुद्ध
करता है.
Taking God's name greatly purifies the mind.
|
राम और रावण
मै बहुत साम्य
भि है और विरुधाभास
भि है: राम
परमार्थि है
और रावण पुरुशार्थि
है; राम शेतु
बंधक है और
रावण शेतुभंजक
है; लंका के
रण मेदान मे
राम रथ के बिना
है और रावण
रथि है; राम
सबको स्विकारता
है लेकिन रावण
सबको निकालता
है; और साम्य
ये दोनो आराधना
तो शिव की हि
करते है.
There many similarities and
differences between Rama and Ravana: Rama is paramarthi (one who
performs charitable deeds for others) and Ravana is purusharthi (one who
does actions for his own self); Rama builds bridges and Ravana destroys
bridges; In Lanka's battlefield Rama is without a chariot and Ravana
has a chariot; Rama accepts everyone while Ravana dismisses everyone.
Despite these differences both Rama and Ravana worship Lord Shiva. |
प्राप्ति में
मत फ़सो; रस
में डुबो.
Don't get caught up in and worry about attainment; just enjoy to the
fullest. |
नाम स्मरण से
बुद्धि शुद्ध
होती है.
The intellect / mind is purified by naam smaran, by recalling and repeating God's name. |
साधना जीवन
से बिलग ना
हो. जीवन हि
साधना है. हर
बात मैं साधना
है; हर बात
मैं सत्संग
है.
Worship is not separate from life.
Life itself is worship. In everything there is worship; in everything
there is satsang, prayer. |
Yuvān or youth do a lot of
purushārtha (hard work to try and fulfil actions rightly expected from
them) but the parinām (resultant benefits) should be distributed to all.
जुलाई २०११ -
July 2011
नियम कभी व्यापक
नहि होता. देश,
काल और व्यक्ति
पर निर्भर होता
है. केन्सर
खतम हो जाये
तो फिर केमोथेरापी
करते रहेने
कि जरुरत नहि
होति.
A rule is never permanent. It depends on time, the individual and
place. Once the cancer is cured there is no need to continue with
chemotherapy.
|
जितनी शक्ति
हम अपने शरीर
कि देखभाल मे
लगाते है, उतनी
हि शक्ति ईश्वर
प्राप्ति के
लिये चाहिये,
उस से ज्यादा
नहि.
The amount of energy we utilise in looking after our physical body, the same amount is enough to realise God, no more. |
सदगुरु और ईश्वर
जानने वालि
चिज नहि, मानने
वालि चिज है.
You don’t need to know and understand Sadguru and God, rather listen to and believe Them. |
भक्ति मार्ग
मे दो चिज ही
जरुरि है: अश्रु
और आश्रय.
Only two things are absolutely necessary on the path of Bhakti: Tears and Refuge. |
किसी महापुरुष,
सदगुरु के आश्रय
मे रहेना, आश्रित
की सुरक्षा
भि है और शोभा
भि है.
Under the shelter of a Mahapurush or Sadguru, the āashrit (devotee) is provided both security as shobha. |
आलोचना संदेश
मुलक हो तो
आदर्णिय है.
आलोचना द्वेश
मुलक हो तो
व्यक्ति दया
का पात्र है.
Constructive criticism is always welcome but a person criticising out
of jealousy is worthy of compassion.
|
अप्राप्त वस्तु
कि इच्छा और
प्राप्त वस्तु
कि ममता हि
बंधन है.
The desire for the unattained and attachment with already attained possessions leads to bondage. |
अगस्त २०११ - August 2011
राम: परम तत्व
है, उच्चार
मे महामंत्र
है, विचार मे
महाविचार और
व्यवहार मे
महा आचार.
Ram: He is Supreme, of all expressions He is the great mantra, of
all thoughts He is the highest form, of all behaviour, He has the most
virtue.
- मोरारी बापु,
तुलसी जयंति
अवार्ड, ६ अगस्त
२०११
- Morari Bapu, Tulsi Jayanti Award, 6th Aug 201
मानस सातसो, कैलास
कथा - Manas 700, Kailas Katha
22nd - 30th August 2011
जीवन इसी लिये
है के हम ज्यादा
से ज्यादा शुद्ध
जीवन जी सके.
Life has been given for the purpose and so that we can lead the most pure form of life.
|
पुण्य करने
से आदमी की
विवेक बुद्धि
बढती है; साहब
पाप करने से
तो विवेक बुद्धि
नष्ट हो जाती
है और विवेक
बुद्धि नष्ट
होने से आदमी
वारम्वार पाप
करने लगता है.
ये साईकिल चलती
रहेती है.
By doing good deeds, a person's power of discrimination increases,
but by doing bad deeds, the power of discrimination is destroyed and a
person keeps sinning. This cycle continues.
|
जिस तरह ये
पुरा कैलास
कथा का आयोजन
हुआ है, इस
से हम और आप
तो प्रसन्न
है हि लेकिन
मुजे लग रहा
है कि यहां
कि सभि चेतनाये
भि इस से प्रसन्न
है.
The way this Kailas Katha has been organised, you and I are of
course pleased, but I also feel that all the souls here are fully
content.
|
गुरुओ से क्या
मांगोगे? यदि
आपको मांगना
हो तो ये मांगो,
हमे आपका दर्शन
हो. बाप पाप
नष्ट हो जायेंगे.
What can you ask from your Guru? If you do ask, then ask for His darshan. Your sins will be destroyed.
|
हनुमान चालिसा
का पाठ करते
समय प्रित से
पाठ करो, कोइ
भि अपेक्षा
किये बिना करो;
अपेक्षाये भक्ति
मार्ग का कलंक
है. प्रेम से
ये करते करते
हमारी कामनाये
धीरे धीरे नष्ट
होने लगती है,
तेरी जो इच्छा
हे वो कर. फ़िर
दिल कहेता हे
कि जो तुज भाये.
When doing Hanuman Chalisa paath, recite them with love, do them
without expecting anything; expectations are a negative taint on bhakti.
With love these desires will slowly be abolished and we surrender to
whatever Your wish is.
|
साहब एक बात
याद रखना: भजन
का कोइ फ़ल नहि
होता, फ़ल देने
वाला भजन तुम्हे
फ़सायेगा; इश्वर
भी कभि हमे
ज्यादा दे तो
साधु मे मना
करने कि क्षमता
होनी चाहिये.
Remember one thing: there is no fruit when you do bhajan; bhajan
that gives fruits will not let you progress. Even if God give us too
much then a Sadhu should have the ability to refuse it.
|
सुख कि कभि
ऊपेक्षा मत
करो; आ जाये
तो प्रभु का
प्रसाद समज
कर पहेले दुसरो
को बांटो और
बाद मे उसे
भोगो.
Don't ever have expectations for happiness; if you receive it, then
consider it as God's prasad, share it with others and then reap it
yourself.
|
हनुमान चालिसा
का तात्विक
रूप: शंकर के
५ मुख है, इसि
लिये नेत्र
१५ है; ये अष्ट
मुर्ति देव
माना जाता है
तो ये ८ हुआ,
और ज्योतिर्लींग
तो १२ है. इन
सबको मिलाओ
तो ये ४० होता
है, उसिका नाम
ही हनुमान चालिसा
है.
The true form of Hanuman Chalisa: Shankar has five faces, therefore
15 eyes; He is considered ashta murti dev or God of 8 murtis, and there
are 12 jyotirlings. Adding all these, the total comes to 40, and this is
called Hanuman Chalisa.
मानस मृत्यु,
सिड्नी कथा - Manas Mrutyu, Sydney Katha
17th - 25th September 2011
सदगुरु महा मृत्यु है, भितर के कचरे का प्रलय कर देता है. सदगुरु निर्वाण रुप है. सदगुरु मिल जाये तो इसके आगे कोइ उप्लब्धि नहि है.
Sadguru is ultimate death. He destroys the impurities present inside
us. He is salvation. Once He is attained there can be no further
achievement beyond Him.
|
मृत्यु हि मोक्ष है.
Death is Salvation.
|
तीन वस्तु मिट जाये तो हम जीवन मुक्त है.
शोक: भुतकाल का शोक मिट जाये.
मोह: वर्तमान का मोह मिट जाये.
चिंता: भविष्य की चिंता मिट जाये.
If we can destroy three things then we can become liberated in this life.
Sok: grief of the past. Moh: attachment for the present. Chinta:
worrying for the future.
|
शंकर
को प्रलय का देवता माना है; महादेव प्रलयन करता है. शिव एक भंडार चलाता
है; यहां जाये उसको भक्ति कि रोटी मिलती. सदगुरु भितर के कचरे का प्रलय कर
लेता है.
Shankar is believed to be the
God of destruction; Mahadev has the ability to destroy. Shiva holds a
charity kitchen, and whosoever goes there receives the roti of bhakti.
Sadguru destroys the impurities filled within us.
|
भाग जाना बहोत आसान है; जाग जाना कठीन है. आप भागो मत; जागो.
It is very easy to run away
from everything, yet difficult to wake up; don’t run from your life,
from your duties, from those around you; awake to them!
|
साधु कौन? जिसमे
ये चार हो वह
साधु:
- सब का स्विकार
करे
- किसी से तकरार
ना करे
- जिवन मे किसी
का तिरस्कार
ना करे
- सब से प्यार
Who is a Sadhu? One who has these four qualities is a Sadhu:
- One who accepts everything and everybody
- One who has no discord with anybody
- One who does not have contempt or disrespect for anyone
- One who has love and affection for everybody
|
द्वेश मुक्त
जीवन और कामना
मुक्त जीवन
सन्यास है.
A life free from hatred and all kinds of desires, longings and expectations is itself Sanyas.
|
आदमी मृत्यु
से नहि मरता
है; भय से मरता
है.
Man does not die from death; rather, from fear.
|
मोक्ष के लिये
मरना जरुरि
नहि है पर अन्दर
कोइ चिज़ मर
जाये, जैसे
द्वेश, इर्शा,
राग, आकान्क्षा,
तुल्ना, वोहि
मोक्ष है.
Death is not necessary to
attain moksha, rather, killing traits such as hatred, jealousy, desire
and comparison, that itself is moksha.
मानस देहोत्सर्ग, सोमनाथ कथा - Manas Dehotsarg, Somnath Katha
08th - 16th October 2011
सब को प्रेम करो...सत्य का उपासक मुस्कराता होना चाहिए.
Love everyone; a follower of truth, walking on the path of truth, should ever be smiling.
|
प्राण खोलने की प्रक्रिया का नाम है राम कथा. यह दुसरे के लिये नहि केवल और केवल अपने लिये.
The process of opening one's life is called Ram Katha. This
is not for anyone else but yourself.
|
हमारे उपनिषद
देहोत्सर्ग
को ज्यादा महत्व
नहीं देते.
महत्व प्राण
का है. प्रश्न
प्राण का है
देह का नहीं.
अगर मुझ से
कोई पूछे तो
में यह ही कहू,
पाच चीजे करना:
१) पवित्र जल
से स्नान
२) चन्दन करो
३) पवित्र वस्त्र
धारण करो
४) आरती के
भाव से दीपक
जलाओ
५) अग्नि में,
भूमि में, जल
में, अपने संस्कार
के मुताबिक
विसर्जन करो
Our Upanishads do not give so much importance to Dehotsarg. Prana is
of utmost significance; the question is of prana, not of the physical
body.
If someone was to ask me, I would say, do five things:
1) Bathe the body with pure water
2) Do chandan / sandalwood
3) Dress with sacred clothes
4) Light a candle/ lamp with the bhaav of doing aarti
5) Perform rites in Agni, earth or water according to your tradition.
|
सत्य
जब जुवान होता है तो उसका नाम प्रेम है. प्रेम जब बुढा होता है, पक्ता है,
तो करुणा बन जाता है. करुणा जब निर्दोष बनती है, बच्चे कि तरह, तो फ़िर
सत्य का रुप हो जाता है. यह एक चक्र है.
When Truth is in its youth, it is called Love. When Love becomes ripe
and reaches old age, it takes the form of Compassion. When Compassion
becomes innocent like a small child, it again becomes Truth. This is a
cycle.
|
तुम्हारे
आगे कौन है ये नहि देखो. तुम्हारे पिछे कौन है ये नहि देखो. तुम्हारे दाएं
कौन है, बाएं कौन है, उपर कौन है, नीचे कौन है ये नहि देखो. तुम्हारे अंदर
क्या है ये देखो. यह देखने के लिये भगवद कथा है; कथा का अर्थ है
अंतर-दर्शन.
Don’t look at who is in front of you or behind you, who is on your
left or right, who is above or below. Instead, understand what is
inside you. Bhagvad Katha is for this; its purpose is introspection
and understanding one's own self.
|
शरिर
पाँच तत्वो से बना है: पृथ्वि, जल, आग्नि, आकाश, पवन. फिर बाद मे यह इनमे
वापस चला जाता है किसि न किसि रूप मे: अग्नि संस्कार, जल समाधि, पृथ्वि मे
या किसि योगी कि तरह जो अपना शरिर पवन मे पिघाल देता है.
The body is made up of five
elements: Earth, Water, Fire, Ether, Air.
Later it returns to those elements in one form or another: through Agni
sanskar, Jal samadhi, in the Earth through burial or like a yogi who
becomes one with the Air.
|
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मानस सारनाथ, सारनाथ कथा - Manas Sarnath, Sarnath Katha
29th October - 6th November 2011
परम प्रेम परम धर्म है.
Supreme love is the supreme religion.
|
भगवान बुद्ध शुद्ध है, विशुद्ध है. वो हमे शुद्ध होने का सरल उपाय इन चार सूत्रो में प्रदान करते है.
१) तुम यथार्थ (सही) रुप में अपने शरीर का अवलोकन करो (देखो).
२) यथार्थ अवलोकन करो चित्त का. मेरा चित्त जागृत रुप में कहा-कहा जाता है.
३) चित्त की समस्त वृत्तियों को देखो.
४) मुझ को (अपने को) दुःख कहा से आया, उस स्थिति का अवलोकन करो.
Bhagwan Buddha is most pure. In these four sutras, He shows us the easiest way to become purified:
1) Genuinely behold and look at your physical body.
2) Keep an eye on the ways of your mind, and its working in the conscious state.
3) Observe the various tendencies of the consciousness
4) Keenly watch the root cause i.e the origin of your pain and suffering.
|
कभी किसी के प्रभाव में नहीं जीना, अपने प्रभाव मे जीना.
सत्य जहाँ से मिले ले लो, पर किसी से प्रभावित नहीं होना.
Don't live your life under anyone's influence. Live in your own innate nature.
Truth should be accepted and welcomed from everywhere, but don't let your life be regulated by anyone.
|
राम के प्रागट्य के लिये पाच चीजे होनी चाहिए:
१) योग - तीनो मे से एक: कर्मयोग, जानयोग, भक्तियोग
२) लगन - मन में लगन
३) गृह - सदगुरु का अनुग्रह
४) वार - एतबार, भरोसा गुरु के वचन पर
५) तिथि - किसी भी तिथि में वो अतिथि बन सकता है.
The birth and arrival of Rama requires the following five elements:
1) Yog - the presence of good deeds, knowledge, or devotion
2) Lagan - connected mind
3) Grah - the grace of your Sadguru
4) Baar - faith and confidence in the command of your Sadguru
5) Teethi - On any given date or time, Rama can be our guest.
|
चिंता
करने वाला आदमी धार्मिक नहीं होता. धार्मिक आदमी कभी चिंता नहीं करता. अगर
चिंता करे तो समझना धार्मिक कपड़ो मे अधार्मिक छिपा है.
One who worries cannot be
righteous; a true religious man never worries about anything. If he
does, then recognise him to be an atheist wearing the garb a religious
one.
|
साधना वाणी से नहीं व्यक्ति के वर्तन से सुनी जाती है.
Sadhana cannot be spoken of, but is comminicated by one's behaviour/ conduct.
|
अगर कोई पूछे, सत्य की व्याख्या करो, तो शांत रहो. यह है सत्य की व्याख्या.
अगर कोई पूछे, प्रेम की व्याख्या करो, तो थोडा मुस्करा दो. यह है प्रेम की व्याख्या.
अगर कोई कहे, करुना की व्याख्या करो, आंख मे थोड़ी सी भिनाश (नमी). यह है करुना की व्याख्या.
If someone asks, what is the definition of Truth, then stay quiet; this is the illustration of Truth.
If someone asks you to define Love, then laugh a little; this itself is Love.
If someone asks you to explain Compassion, then let your eyes moisten; this is the meaning of Compassion.
|
हरि नाम का आश्रय प्रमाद नहीं है, समस्या के समाधान का महा प्रयत्न है.
Refuge in God's name is not laziness, but is the ultimate effort to solve a problem.
|
बुद्ध नाम नहीं है. बुद्ध तो प्रयास से या प्रसाद से पाई गई अवस्था है.
Buddha is not a name. It is a state of being, which one achieves through one's own efforts or through someone's kind grace.
|
जहां विरोध है वहां बोध नही. जहां बोध है वहां विरोध नही.
Where there is contradiction there is no enlightenment. Where there is enlightenment there is no contradiction.
|
मानस विवेक, कोलकाता कथा - Manas Vivek, Kolkata Katha
29th October - 6th November 2011
पत्नि का अर्थ है जो पति को पतन से बचाए:
नारी का अर्थ है न अरि.
The meaning of patni/ wife is one who saves her husband from patan/ falling.
The meaning of nari is na ari, one who is not an enemy.
|
सम्वेदना
का मुख्य स्थान ह्रदय है. भगवान शंकर ने पूरा शास्त्र ह्रदय में रखा है.
भले ज्ञान की पीठ में बैठा है लेकिन वो करुणा का अवतार है. उनकी कथा ह्रदय
से निकलती है.
The main place for compassion
is in the heart. Shankar Bhagwan has kept the entire shastra within his
heart. He might be positioned in the seat of knowledge, but he is the
incarnation of compassion. His katha emerges from the heart.
|
विवेक मतलब समझदारी, जागृति.
Vivek means understanding, awareness.
|
विवेकानंदजी: राजनीती मे हिंदुस्तान यदि धर्म छोड देगा तो नष्ट हो जायेगा.
राजनीती मे धर्म होना चाहिये, लेकिन धर्म मे राजनीती नहि होनी चाहिये; और धर्म का अर्थ सत्य, प्रेम और करुणा.
Vivekanandji said that if Hindustan discards dharma/ righteousness in politics, it will be destroyed.
Bapu added that in politics there should be dharma, but in dharma there
should not be politics, and by Dharma he means Satya Prem and Karuna,
Truth Love and Compassion.
|
हमारे देश मे तीन बस्तु आदमी को आदर के साथ मिलनी चाहिये :
- आगम/ शिक्षण: आखिर व्यक्ति अन्तिम व्यक्ति से लेकर सबको शिक्षा मिलनी चाहिये.
- उसको अन्न मिलना चाहिये; कोई आदमी भुखा नहि रहेना चाहिये, बच्चे तो खास.
- आदमी को आदर के साथ आरोग्य की सेवस्थ प्राप्त होनी चाहिये.
There are three things that each person should receive with respect :
- Education: from the first to the last person, everyone should be educated.
- Food: every individual should have food; noone should remain hungry, especially children.
- Healthcare: everyone should receive healthcare with dignity and respect.
|
गुरु शिष्य की परंपरा मे यह होता है: आश्रित/शिष्य चरण छुए, और वोह हमारा शिर छुए.
In the Guru shishya tradition,
the disciple pays respect and touches the feet of the guru, and the
guru blesses and touches the head of the disciple.
|
विवेक मानी अग्नि. तुलसीदास जी ने कहा है की विवेक रुपी अग्नि को प्रगट करने के लिए राम कथा एक मंथन है.
Vivek is in fact a fire. Tulsidasji has said that Ram Katha is a
churning for the manifestation of this fire of vivek.
|
विवेक चार प्रकार से मिलता है:
१) एक मांगने से मिलता है. फ़िर वो कृपा करे तो.
२) मंथन से मिलता है. खुद के चिंतन से.
३) सत्संग करने से.
४) हमारा गुरु बिन बोले हमें विवेक प्रदान करता है.
Vivek can be attained in four ways:
1) By asking, and then if He (God) showers His grace.
2) Through contemplation and self-introspection.
3) By doing satsang.
4) Our Guru grants us this vivek without us asking.
|
भारत के युवान की सुबह रुद्राष्टक से हो; स्नान करते समय, आत्म लिन्ग का अभिषेक करे. और संध्या हनुमान चालिसा से हो.
Let your morning begin with
reciting the Rudrashtak, especially the youth of India today, by doing
abhishek on the lingam that is the soul; and let the evening end with
Hanuman Chalisa.
|
सत्संग से विवेक का जन्म होगा. यह सत्संग सुलभ होता है हरी कृपा से.
हरी कृपा निराकार, अमृत है. कृपा व्यापक है, कृपा सर्वकालिक है.
The power of discretion/ discernment is born through satsang. This
satsang is only made possible with the grace of God.
Kripa, the grace
of God, is without any form; it is nectar. It is present everywhere
(not dependent on any particular place) and is present at all times
(not limited to time frame).
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एवरेस्ट के लिये स्पर्धा जरुरि है; कैलास के लिये केवल श्रद्धा.
To reach Everest, competitiveness is necessary; but for Kailas, you need only faith.
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हरेक ह्रदय में सम्वेदना का परमात्मा प्रकट हो.
May the lord of kindness and compassion appear in all our hearts.
मानस भगत शिरोमणि, वीरपुर कथा - Manas Bhagat Shiromani, VIrpur Katha
10th December - 18th December 2011
राम चरित मानस का कोई सूत्र अच्छा लगे तो, उस सूत्र को :
- अपना मित्र मानना
- उसको पुत्र की तरह पालना
- अपना नैत्र बनाना
If you like any sutra from Ram Charit Manas then:
- accept that sutra as your friend
- nourish it like your son
- let it become your eyes
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इस वीरपुरधाम में एक त्रिवेणी है; भजन, भोजन, और भाजन/पात्रता की.
Virpurdham is a Triveni of bhajan, bhojan and bhaajan (ability/capability).
JAY SIYA RAM
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